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Monday 15 October 2012

स्व.आयुवान सिंह शेखावत,हुडील

मत कर मोद रिसावणों,
मत मांगे रण मोल |
तो सिर बज्जे आज लौ ,
दिल्ली हन्दा ढोल ||

हे राजस्थान ! तू अपनी वीरता पर गर्व मत कर ,रुष्ट भी मत हो और न रण भूमि में लड़ने के लिए प्रतिकार के रूप में किसी प्रकार के मूल्य की ही कामना कर | क्योंकि आज तक दिल्ली की रक्षा के लिए आयोजित युद्धों के नक्कारे तेरे ही बल-बूते बजते रहे है |

हरवल रह नित भेजणा,
चुण माथा हरमाल |
बाजै नित इण देश रा,
तो माथै त्रम्बाल ||

तुने सदैव युद्ध-भूमि में रहकर भगवान् शिव की मुंड-माला के लिए चुन-चुन कर शत्रुओं के शीश भेजे है | तेरे बाहू-बल के भरोसे ही इस देश के रण-वाध्य बजते आये है |

स्व.आयुवान सिंह शेखावत,हुडील