Search Your Mind

Friday, 14 December 2012

सुनी सुनाई और रटी -रटाई  बात को पकड़कर कोई आदमी विकाश के सूत्र को समझ तो जरुर सकता है , मगर पा नहीं सकता ! पाने के लिए साहस चाहिए ! साहस का अभिप्राय है बढने के लिए जोखिम उठाने की हिम्मत करना, और सबसे बड़ी जोखिम है - आत्मसुरक्षा के लिए भय रहित  होना !जिस साधक ने ऐसी सुरक्षा प्राप्त कर ली , उसने विकाश के सूत्रों को आत्मसात कर  लिया है ! इसलिए जहाँ सुनी सुनाई और रटी - रटाई बातों  के आधार पर निर्माण का क्षेत्र तैयार किया जाता है , वहाँ  सामान्य साधकों  के निर्माण की संभावनाएँ भले ही हो ,लेकिन उच्च कोटि के साधक का निर्माण उपयुक्त वातावरण और वास्तविक मार्ग दर्शन के बिना संभव नहीं है ! रटी -रटाई  बातों  के बाड़ों में जो लोग विश्राम करते हैं , वे उन परिश्रम से क्लांत प्राणियों की भाँति हैं , जिन्हें विकाश की अपेक्षा अपने जीवन निर्वाह का प्रश्न अधिक सताता है !

                                                                                श्री तनसिंह जी