Search Your Mind

Wednesday, 19 December 2012

कहाँ से रवाना हुए ,किनको साथ लिया ,किन्हें बीच में छोड़ा और हमारा काफिला किस उम्मीद में कहाँ तक आया इसे इतिहासकार भी नहीं जान पायेगा ! हमें कथायें सुनाने  में रूचि भी नहीं है और इसलिए याद भी नहीं रखते ! याद हम केवल आज को रखते हैं और उसी में भूतकाल को गर्क कर भविष्य के स्वप्न देखा करते हैं !

                                                                                                      पूज्य श्री तनसिंह जी