कहाँ से रवाना हुए ,किनको साथ लिया ,किन्हें बीच में छोड़ा और हमारा काफिला किस उम्मीद में कहाँ तक आया इसे इतिहासकार भी नहीं जान पायेगा ! हमें कथायें सुनाने में रूचि भी नहीं है और इसलिए याद भी नहीं रखते ! याद हम केवल आज को रखते हैं और उसी में भूतकाल को गर्क कर भविष्य के स्वप्न देखा करते हैं !
पूज्य श्री तनसिंह जी
पूज्य श्री तनसिंह जी