दीपक लिए राह पर बैठा ,जाने कितने समय से मुसाफिर !तेरी प्रतीक्षा करता रहा हूँ !पहले तुम्हारी याद आई ,फिर तुम्हारी छाया आई और छाया के बाद तुम आए !पर जानते हो ,तुम्हारे आने के बाद भी एक चीज रह गई ,यदि तुम्हारी रूह नहीं आई,तुम्हारी आत्मा नहीं आई और तुम्हारी समस्त सच्चाई नहीं आई,तो समझ लो कुछ नहीं आया !
पूज्य श्री तनसिंह जी की डायरी से
पूज्य श्री तनसिंह जी की डायरी से