मुझे असफलताएँ भी मिली हैं ,लेकिन मेरी सफलताओं के मुकाबले में वे कुछ भी नही हैं !कुछ असफलताओं का होना स्वाभाविक है ,तब चिंता क्यों करूं ?सत्य तो यह है की कुछ असफलताएं परमावश्यक भी हैं,सही स्थिति का मुल्यांकन करना हमे नहीं आता और इसलिए हम अपने दुर्भाग्य की छोटों पर चीखते-चिल्लाते हैं और सौभाग्य की सर्वथा उपेक्षा करते हैं !
पूज्य श्री तनसिंह जी की डायरी से +
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