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Friday 7 December 2012

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व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके कर्मों में परिलल्क्षित होता है ! व्यक्ति मर जाता है परन्तु उसके द्वारा किये गये कार्यों में निहित उद्देश्य एवम भावना के आधार पर भावी पीढ़िया उसका मूल्याँकन करती हैं ! सामान्य व्यक्ति के कार्यों का लेखा प्राय: उसके जीवन के साथ ही समाप्त हो जाता है क्योकि उसके कर्म प्रायः उसके अपने सांसारिक कार्य व्यापार के निमित्त ही अधिक होते हैं परन्तु विशिष्ट व्यक्ति अपने जीवन का हेतु समझते हैं !वे जानते हैं की प्रभु द्वारा प्रदत्त यह दुर्लभ मानव जीवन केवल आहार निंद्रा आदि के लिए नहीं है अपितु ईश्वरीय हेतु की पूर्ति के लिए है !ऐसे व्यक्ति अपने जीवन की सार्थकता सिद्ध करके अमर हो जाते  हैं ! उनका जीवन राष्ट्र की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत एवम जीवन का सम्बल होता है !
               पूज्य श्री तनसिंह जी ऐसे ही दिव्य पुरुष थे जिन्होंने श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की और संघ के माध्यम से उन्होंने समाज की सुप्त चेतना को जाग्रत किया !समाज को उसके वास्तविक स्वरूप का बोध कराया ! ऐसे दिव्य पुरुष को हमारा सादर नमन !