Rajput (Kshatriya)
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Sunday, 2 December 2012
एक प्रश्न है जिसका उत्तर उलझकर शून्य में भटक गया ! लौटकर जिन्दगी के केवल निशान ही देखने को मिले ! तेरी राहें तू ही जाने और वे तेरे ही भरोसे हैं !
श्री तनसिंह जी
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